source : scinecedaily.org
"स्वार्म" सेटेलाइट सिस्टम के तीन उपग्रह को नवम्बर, 2013 को छोडा गया था । इन सेटेलाइट्स की मदद से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बदलाव को मापा जा सकता है ।
पिछ्ले 6 महिनों के संशोधन से यह पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है । यह नाटकीय बदलाव पृथ्वी के उत्तर गोलार्ध में ज्यादा मापा गया है । पृथ्वी का उत्तर चुंबकीय ध्रुव उत्तर साइबेरीया की और खिसक रहा है । ESA संस्था ने यह संशोधन 9 जून 2014 को प्रसिद्ध किया है ।
पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घटने का कारण हमारें ग्रह के गर्भ में स्थित मेग़्मा (लावा) के प्रवाह में आंतरीक बदलाव है ।
चुंबकिय क्षेत्र का महत्व :
पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र ब्रह्मांड से आते हुए कोस्मिक किरणों और विजभारित कणों की वर्षा से सजीवों को बचाता है । हमारे विद्युत जनरेटर, इलेक्ट्रिक मोटर, GPS सिस्टम, सेटेलाईट सिस्टम जैसे उपकरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित है । कुछ ऋतुप्रवासी पक्षी इसी चुंबकिय क्षेत्र के सहारे अपने लंबे प्रवास के बाद निश्चित स्थान पर पहोंच जाते है। अब पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है और बदल रहा है । तो, निश्चित ही पृथ्वी के सजीव जीवने पे असर होगा ।
पुराने अग्निकृत खडको के अध्ययन से पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र में बदलाव भूतकाल में भी दर्ज किया गया है ।
"स्वार्म" सेटेलाइट सिस्टम के तीन उपग्रह को नवम्बर, 2013 को छोडा गया था । इन सेटेलाइट्स की मदद से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बदलाव को मापा जा सकता है ।
पिछ्ले 6 महिनों के संशोधन से यह पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है । यह नाटकीय बदलाव पृथ्वी के उत्तर गोलार्ध में ज्यादा मापा गया है । पृथ्वी का उत्तर चुंबकीय ध्रुव उत्तर साइबेरीया की और खिसक रहा है । ESA संस्था ने यह संशोधन 9 जून 2014 को प्रसिद्ध किया है ।
पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घटने का कारण हमारें ग्रह के गर्भ में स्थित मेग़्मा (लावा) के प्रवाह में आंतरीक बदलाव है ।
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गुलाबी स्पॉट चुंबकीय ध्रुव की ताजा स्थिति दर्शाता है । |
पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र ब्रह्मांड से आते हुए कोस्मिक किरणों और विजभारित कणों की वर्षा से सजीवों को बचाता है । हमारे विद्युत जनरेटर, इलेक्ट्रिक मोटर, GPS सिस्टम, सेटेलाईट सिस्टम जैसे उपकरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित है । कुछ ऋतुप्रवासी पक्षी इसी चुंबकिय क्षेत्र के सहारे अपने लंबे प्रवास के बाद निश्चित स्थान पर पहोंच जाते है। अब पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है और बदल रहा है । तो, निश्चित ही पृथ्वी के सजीव जीवने पे असर होगा ।
पुराने अग्निकृत खडको के अध्ययन से पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र में बदलाव भूतकाल में भी दर्ज किया गया है ।