Tuesday, 24 June 2014

Earth's Changing Magnetism : पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बदल रहा है ।

source : scinecedaily.org
"स्वार्म" सेटेलाइट सिस्टम के तीन उपग्रह को नवम्बर, 2013 को छोडा गया था । इन सेटेलाइट्स की मदद से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बदलाव को मापा जा सकता है ।

पिछ्ले 6 महिनों के संशोधन से यह पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है । यह नाटकीय बदलाव पृथ्वी के उत्तर गोलार्ध में ज्यादा मापा गया है । पृथ्वी का उत्तर चुंबकीय ध्रुव उत्तर साइबेरीया की और खिसक रहा है । ESA संस्था ने यह संशोधन 9 जून 2014 को प्रसिद्ध किया है ।

पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घटने का कारण हमारें ग्रह के गर्भ में स्थित मेग़्मा (लावा) के प्रवाह में आंतरीक बदलाव है ।

गुलाबी स्पॉट चुंबकीय ध्रुव की ताजा स्थिति दर्शाता है ।
चुंबकिय क्षेत्र का महत्व : 

पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र ब्रह्मांड से आते हुए कोस्मिक किरणों और विजभारित कणों की वर्षा से सजीवों को बचाता है । हमारे विद्युत जनरेटर,  इलेक्ट्रिक मोटर, GPS सिस्टम, सेटेलाईट सिस्टम जैसे उपकरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित है । कुछ ऋतुप्रवासी पक्षी इसी चुंबकिय क्षेत्र के सहारे अपने लंबे प्रवास के बाद निश्चित स्थान पर पहोंच जाते है। अब पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र घट रहा है और बदल रहा है । तो, निश्चित ही पृथ्वी के सजीव जीवने पे असर होगा

पुराने अग्निकृत खडको के अध्ययन से पता चला है की पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र में बदलाव भूतकाल में भी दर्ज किया गया है ।

Sunday, 22 June 2014

Invisible cloaks : अद्रश्य चौगा !!

science : sciencedaily.org
KIT एक युरोप की बडी संशोधन संस्था है । उनके संशोधन मुख्य विषय ऊर्जा क्षेत्र है । वहां के संशोधको ने द्रव्य को अद्रश्य करने की दीशा में एक नई खोज की है ।

पदार्थ को अद्रश्य करने के लिए पिछले वर्षो में प्रयास हुए है । जादुगर चीजों को गुम करन के लिए द्रष्टि भ्रम का उपयोग करते है । कुछ संशोधक पदार्थ को प्रकाश, गर्मी और ध्वनि से छुपाने मे कामियाब हुए है, लेकिन एसे अद्रश्य पदार्थ को स्पर्श से महसूस किया जा सकता है ।

अद्रश्य पदार्थ - left side
KIT लेबोरेटरी के संशोधक ने एसे कपडा (cloak) तैयार किया है की जिससे अद्रश्य पदार्थ को स्पर्श को भी महसूस नहीं किया जा सकता । यह कपडा खास तरीके तैयार किया गया एक पोलीमर है । उसका आकार नलाकार (cylindrical) है । उसके बीच में पदार्थ को रख दीया जाय तो प्रकाश, गर्मी और ध्वनि का कोई असर नहीं होता है । उसके उपर रूई (कॉटन) को लपेट लिया जाए तो उसके स्पर्श को भी महसूस किया जा सकता नहीं है ।

फिलहाल, यह संशोधन छोटे पदार्थों के लिए उपयोग में लिया जाता है । लेकिन भविष्य में इसके कुछ नए उपयोग खोजे जा सकते है ।

Boundry :

बंटी : अगली परीक्षा में इसी कपडे से बने पेन्ट शर्ट पहन के जाऊंगा ।







Tuesday, 17 June 2014

100 साल बाद 30,000 फूल खिलेंगे

युं तो हर साल फूल खिलते है लेकिन कुछ पौधो में यह प्रक्रिया बहुत धीमे शुरु होती है ।

US बोटोनिकल बगीचे में "क्वीन ऑफ एन्डिझ" पौधा करीब 100 साल बाद खिलेगा ।उसका फूल पैदा करने का प्रदंड 30 फूट लंबा है, जिस पर करीब 30,000 फूल खिलेंगे ।इस तरह के पौधे अमेरीका में स्थित एंडिझ के पर्वतीय विस्तारों में ही मिलते है ।

1990 में लॉरी डोर, "क्वीन ऑफ एन्डिझ" के बीज लाए थे । जिसको US बोटोनिकल बगीचे में बोया गया था । करीब 23 साल के बाद इस पौधे पर कलीयाँ खीलने की शुरूआत हुई है । एक बार फूल खिलने के बाद यह पौधा मुरझा जाता है । इस फूल को खिलते देखने के लिए वनस्पतिप्रेमी उत्सुक है ।

गिनीश बुक ऑफ वर्ल्ड रॅकोर्ड में "सबसे धीरे फूल पैदा करनेवाली प्रजाति" का रॅकॉर्ड इस पौधे के नाम है । गिनीश बुक के मुताबिक इस पौधे पर 150 साल बाद फूल खिलते है ।

Tuesday, 10 June 2014

"Brazuca" : Keeper's Ball : 'Brazuca' इस वर्ल्ड कप में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करेगा

source : sciencedaily.org
Adelaide युनिवर्सिटी के भौतिक विज्ञानी 2014 FIFA वर्ल्ड कप के लिए बनाए गए नये बॉल  'Brazuca' को 'गोलकिपर का बॉल' बताते है । 







2010 के FIFA वर्ल्ड कप में "Jabulani" बॉल का उपयोग हुआ था । इस बोल पे हलकी धारीयां (grooves) थी । जिसके कारण बॉल हवा में  तैरते समय अपने आसपास हवा का तेज बहाव पैदा करता था । उस वजह से बॉल हवा में ज्यादा तेझ गति से आगे बढता था । लेकिन, इस कारण से बॉल अपने सीधे गतिपथ से विचलीत हो जाता था (swing) । जिससे गॉलकिपर बॉल को रोकने में कई बार गलतियां करते थे । कई लोग "Jabulani" बॉल को 'बीच बोल' (Beach Ball) भी कहते थे । 



'Brazuca' बॉल पर गहरी धारीयां बनाई गई है । जिससे बॉल के हवा में  तैरते समय उसके आसपास हवा का बहाव मध्यम रहता । इस कारण से बॉल अपने सीधे गतिपथ से विचलीत नहीं होता है । जिससे गॉलकिपर बॉल को रोकने का सही अंदाजा लगा सकता है।






फ़िफा वर्ल्ड कप में अब तक उपयोग  कीए फूटबॉल देखे...(नीचे तस्वीर में)

Sunday, 8 June 2014

The 'Beast' Will pass on Today : एक बार और बच गये !!

1,000-feet wide 'beast' asteroid to fly by earth on Sunday
source : times of india
पृथ्वीवासीयों की किस्मत अच्छी है ! 1000 फीट चौडी एक उल्का हमारी पृथ्वी से 1.25 लाख कीलोमीटर दूर से  8 जून,2014 रविवार (आज) को गुजरेगी ।

इसकी रफतार 50,400 km प्रति कलाक है । अगर यह उल्कापिंड पृथ्वी पर टकराता है तो, कम से कम एक विकसित शहर को पुरी तरह नष्ट कर सकता है ।

इस उल्कापिंड की जानकारी NASA को 23 अप्रैल, 2014 में लगी है । जिसको 2014HQ124 नाम दिया गया है । जिसका निकनेम "Beast" रखा गया है । इस उल्कापिंड की पृथ्वी के साथ टक्कर की कोई संभावना नहीं है ।

Boundry :
शायद ब्रह्मांड में भी BJP का प्रचार पहोंच गया है । तभी तो यह उल्कापिंड भी देखने आया "अब की बार मोदी सरकार"


Friday, 6 June 2014

Tale of Pi : कहानी π की...

'पाइ' को कोन नहिं जानता ? गणित पढने वालों का π से कहीं ना कही पाला तो पडा होता ही है ।

π =3.14159265358979323846…

गणित  में बहोत सारे अचलांक (constant) है लेकिन π की बात कुछ और है । 'पाई' की लोकप्रियता पुराने समय से अब तक बरकरार है ।



π का इतिहास :

▻ बेबिलीयोनवासी π की किंमत "3" लेते थे।
▻ 1650 BC में इज्पिशियन गणितज्ञ पपायरस π की किंमत 32/18 = 3.16049... लेने का सुजाव दिया।
▻ प्राचीन भारतीय गणित में π = √10 = 3.162277… बताया गया है ।
▻ ग्रीक गणितज्ञ और तत्वज्ञानी आर्किमिडीज ने π की किंमत को पुरी तरह गिनने का प्रयत्न किया । आर्किमिडीज ने π की किंमत 3 < 10/71 = 3.14084… < π < 3 1/7 = 3.14285… जितनी बताई।

π और फिल्म जगत :

▻ 1998 में रिलीझ रोमांचक फिल्म 'pi' ने सुडान फिल्म फेस्टिवल में एवॉर्ड जीता है ।

▻ Matrix के पार्ट-1 में 'नियो' को क्षेत्र में जाने के लिए 314 सेकन्ड ही थे । यह किंमत 10π जितनी है ।

▻ 2012 में रिलीझ हुए फिल्म 'Life of pi' ने ऑस्कार एवॉर्ड जीता है । फिल्म के मुख्य किरदार स्कूल के ब्लेक बोर्ड पे π की किंमत 100 दशांश तक लिखता है । इसके वह 'pi' Patel के नाम से प्रसिद्ध हो जाता है । हालांकी फिल्म गणित विषय पर आधारित नहीं है।
▻ 2013 में 'Wife of pi' नामक एक कार्टून बहोत लोकप्रिय हुआ था । जिसमें एक किरदार का डायलोग है की, "He's irrational and he goes on and on." (मैं नास्तिक हुँ और आगे भी ऐसे ही रहेगा‌। लेकिन, π के अर्थ में बताए तो "यह असंमेय संख्या है और अनंत दशांश स्वरूप है ।")

▻ 14, March, को यु. एस. में 'Day of pi ' मनाया जाता है । क्योंकी अमेरिकन दिनांक पद्धति में "3/14" लिखते है ।

▻ 14 March, 2015 'पाई' चाहको के लिए बहोत महत्वपूर्ण है । क्योंकी इसको अमेरिकन दिनांक पद्धति में "3/14/15" लिखा जा सकेगा ।
π की कविता :

पॉलिश कवि  विस्ल्वा स्ज्म्बोर्सका (Wislawa Szymborska), जिनको 1996 में साहित्यिक उपलब्धीयों के नोबेल पारितोषिक दिया गया है, उन्होंने एक कविता में π की बात कुछ इस तरह लिखी है-

The admirable number pi: 

/ three point one four one. / 

All the following digits are also initial, / 

five nine two because it never ends. /

It can't be comprehended six five three five at a glance, / 

eight nine by calculation …

π संमेय है  या असंमेय ?

π की किंमत वृत के परिघ और व्यास का गुणोत्तर है । π के दशांश भाग में अब तक 10 ट्रिलीयन अंको का पता लग सका है । इस लिए अब तक π असंमेय (irratinal) संख्या है ।

Boundry :
पप्पु ने लंबी रिसर्च के बाद आखिर π की किंमत खोज ली!!

Wednesday, 4 June 2014

Blonde or Brunette : "बाल की खाल" बदलें...

source : times of  india, sciencedaily.org
एक संशोधन से पता चला है की, हमारे बालों का रंग सुनहरा पीला (blonde) या काला ब्राउन (brunette) हमारे जिनेटीक कॉड के एक अक्षर के परिवर्तन से बदला जा सकेगा।
केट पेरी -hollywood


संशोधक डेविड किंगस्ले (Howard Hughes Medical Institute-HHMI)ने मछलीयो की त्वचा, बाल, आँख के रंग के लक्षणों को नियंत्रण करने वाले जिनेटीक कॉड का पता लगा लिया है । डेविड ने इस प्रकार का संशोधन मनुष्य के जनीनिक बंधारण पर भी किया है ।



रंग बदलना कैसे संभव होगा ?

संशोधक डेविड किंगस्ले इस संशोधन को समझते हुए कहते है," मनुष्य के बाल का रंग सुनहरा पीला (blonde) या काला ब्राउन (brunette) होन या इसकी आंख के रंग में विविधता "रंग लक्षण" (pigment trait) के जिनेटिक कॉड  की विशेषता है। निश्चित जिनेटीक कॉड मानव जाति में खास लक्षण (trait) प्रदर्शित करता है । अगर जिनेटीक कॉड में थोडा भी बदलाव करे तो मनुष्य जाति में नया लक्षण प्रदर्शित होगा।"

अपनी बात को समजाते हुए डेविड बताते है की, "उत्तरीय युरोप के लोगों में सुनहरे पीले (blonde) बाल का लक्षण (trait) ज्यादा देखने को मिलता है । उनके DNA कॉड में KITLG प्रोटीन का कॉड इस लक्षण (trait) का नियंत्रण करता है ।


मनुष्य कें 23 जोड रंगसूत्रो में 12 नंबर की जोड के रंगसूत्र के KITLG प्रोटीन कॉड में बदलाव करके ब्राउन काले (brunette) बाल का लक्षण (trait) प्रदर्शित किया जा सकता है ।

KITLG प्रोटीन कॉड की शृंखला में  3,50,000 न्युक्लियोटाइड दूर एक न्युक्लियोटाइड में ऐडेनीन (Adenine) की जगह गुआनीन (guianine) दाखिल करने से ब्राउन काले (brunette) बाल का लक्षण (trait) 20% प्रदर्शित हो सकता है । "


यह बदलाव छोटा है लेकिन जीव विज्ञान के क्षेत्र में यह एक बडी उपलब्धी है । इस प्रकार के जिनेटीक कॉड बदलाव के प्रयोग चूहों पर किए गये है । जिनमें प्रयोगो में कुछ सफलता मिली है ।

Boundry :
कोलेजीयन कन्या बोलेगी "डोक्टर साहब ! प्लीज मेरे बाल पिन्क कलर के कर दो ! यह रहा मेरे जिनेटीक बायोडेटा...."

(यहां प्रदर्शित फोटो में कलाकारों के बाल "कलर डाई" किए हुए है ।)

Monday, 2 June 2014

IMPULSE 2 : सोलार प्लेन इम्प्ल्स 2 वर्ल्ड टूर के लिए तैयार..

source : BBC.com
सोलार पावर से चलनेवाला "इम्प्ल्स 2" वर्ल्ड टुर के लिए तैयार है ।

इम्प्ल्स(2013)
पिछ्ले साल, मई, जून, जुलाई-2013 में इस प्लेन ने पुरे अमेरीका- सान फ्रान्सिस्को से न्युयोर्क तक-का सफर बिना रुके और बिना ईंधन डलवाए पूर्ण किया है ।इस सफर के साथ इस प्लेन ने कई रिकोर्ड्स अपने नाम कर दिए है ।





 इम्प्ल्स(2013)
सबसे लंबे समय तक हवा में ऊडने वाला (26 घंटे) पहला समानव सोलार प्लेन का रिकोर्ड,
दो द्विपो के बीच सबसे लंबी दूरी तय करने वाला पायलोट सहित सोलार प्लेन का रिकोर्ड इसके नाम हो गया ।




कैसा है "इम्प्ल्स" ?

 "इम्प्ल्स 2"
यह विमान के पंख कार्बन फायबर से बने है । जिनका फैलावा बोईंग 747 प्लेन से भी ज्यादा है। फिर भी, इस प्लेन का वजन (2.3 टन) एक सामान्य कार जितना ही है ! इसके पंखो पर करीब 17,000 सोलार सेल लगे है । जो इसकी ब्रशलेस मोटर को ऊर्जा देते है । इसकी अधिकत्तम स्पिड 140 km/h  है । दिन के समय इसकी लिथियम आयन बैटरी सोलार ऊर्जा से चार्ज होती है । रात के समय यही बैटरी की मदद से प्लेन उडता रहता है ।

पिक्कार्ड और बोर्शबर्ग ने "इम्प्ल्स" प्लेन में कुछ सुधार करके उसको वर्ल्ड टूर के लिए तैयार किया है । 2015 में "इम्प्ल्स 2" प्लेन पुरी पृथ्वी का चक्कर लगाके एक विश्व विक्रम बनाने जा रहा है ।
Best of Luck to Impulse 2's Team !!




Sunday, 1 June 2014

SpaceX’s Dragon V2 ready to ferry : SpaceX का ड्रेगन V2 अवकाशयात्रीयो को ले जाने के लिए तैयार

source : newyorktimes.com, sciencedaily.org
2012 से रशिया की मदद से इन्टरनेशनल स्पेश स्टेशन (ISS) को हर महिने सामान पहोंचाने के लिए एक केप्सुल से बना शटल भेजा जा रहा है । ये शटल ISS के साथ जुड सकता है और फिर काम समाप्त होने के बाद उसे पृथ्वी की तरफ फेंक दिया जाता है । यह शटल पृथ्वी पर अपने पेराशुट से जमीन या पानी में उतर जाता है । नौसेना के जहाज से उसे वहां से बरामद कर लिया जाता है।

 ISS के साथ जुडा हुआ केप्सुल (2013) 

केप्सुल की पृथ्वी पर वापसी(2013)

अब SpaceX कंपनी ने उसी केप्सुल (यान)को आधुनिक रूप देते हुए, अंतरिक्ष में मालसामान एवं अवकाशयात्रीयो को भी ले जा सके इस प्रकार तैयार किया है । इस यान में एक साथ 7 अवकाशयात्री जा सकते है । इस यान के अपने रोकेट इन्जिंस है, जिनकी मदद से वह तैर सकता है । इस कारण यान अपने आप ISS के साथ जुड पाएगा । और पृथ्वी पर उतरने के समय इसी रोकेट इन्जिंस का उपयोग करके हेलिकोप्टर की तरह उसे इच्छित जगह पर उतारा जा सकेगा । ड्रेगन V2  के अंदर टच स्क्रीन कम्य्प्युट है, जिससे इस यान का संचालन नियंत्रीत किया जा सकता है।
 ड्रेगन V2 
यह ज्ञात हो की, कोलंबिया दुर्घटना के बाद NASA ने स्पेश शटल की ऊडान को बंध कर दिया है । अंतिम स्पेश शटल ‘डिस्कवरी’ को भी निवृत्त कर दिया है । ISS को सामान पहोंचाने के लिए रशिया की मदद ली जा रही है, अब, अमेरिकन प्राइवेट कंपनी SpaceX ने ड्रेगन V2 को ईजाद करके NASA के काम में मदद की है ।

‘Icarus’ spaceship : मानव जाति का आखरी पडाव “ इक्रस स्पेशशीप”

source : cbc news
वैज्ञानिक, आर्किटेक्ट और डिझानर का एक समूह स्पेशशीप के निर्माण में लगा है। इस स्पेशशीप-इक्रस- में मानव जाति 100 वर्षो तक अंतरिक्ष में जिंदा रह पाए इस प्रकार की सुविधा होगी ।



CBC रेडियो के एक कार्यक्रम में इस प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए विज्ञान पत्रकार टोरा कोचूर ने कहा,
टोरा कोचूर
“ यह स्पेशशीप 20 किलोमीटर लंबा नलाकार होगा । इस स्पेशशीप में हमारी पृथ्वी जैसा ही वातावरण होगा । एक साथ 50-500 मनुष्यों का इस में समावेश हो पाएगा । इसमें गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव होगा । इसमें वनस्पतियां उगाई जाएगी । इस स्पेश शीप का अपना इंजन होगा, जिससे यह शीप अंतरिक्ष में आगे बढता जाएगा।"


" अगर पृथ्वी पर भयंकर सुखा पड जाए, परमाणु युध्ध हो जाए, भयंकर उल्कापिंड का पृथ्वी पर प्रहार हो जाए... जैसी कई विषम परिस्थितिओ में यह स्पेश शीप मानव जाति का अंतिम आश्रय स्थान हो सकेगा । अगर अंतरिक्ष में कहीं दूसरी जगह बसने लायक जगह है, तो मानव जाति उस ग्रह पर पहोंचकर अपना घर बना सकती है । इस बीच अपने स्पेश शीप में आराम से अपने समुदाय में जिंदा रहेगी ।“

यह प्रोजेक्ट 2013 में शुरू हुआ है, और 2100 साल तक पूर्ण होने का अंदाज है । कुछ लाख साल बाद भी जब पृथ्वी पर जीवन के लिए विषम परिस्थितियां पेदा होगी । उस वक्त  स्पेशशीप-इक्रस- मानव जाति का अंतिम पडाव होगा ।

Friday, 30 May 2014

CUT, COPY & PASTE BY “ HIV VIRUS” : HIV वायरस से “कट, कोपी & पेस्ट”

Source : sciencedaily.org, eLIFE journal
आर्हेनियस इन्स्टियूट के बायोमिडीसीन विभाग के संशोधको ने HIV वायरस से हमारे जनीनिक बंधारण में सुधार करने की टेक्नीक खोजी है । इससे हमारे जनीनिक बंधारण की त्रुटीयों को सुधारा जा सकता है । जिससे आनुवंशिक रोगो के इलाज में एक नई राह खुल गई है ।

पहले जनीनिक बंधारण में सुधार करने के लिए ई. कोली बैक्टेरीया का उपयोग होता था । लेकिन इस पध्ध्ति से जनीनिक शृंख्ला को इच्छित जगह से काटा नहीं जा सकता था । इसलिए जनीनिक बंधारण सुधार में इच्छित परीणाम नहीं मिलते थे ।
HIV वायरस
HIV वायरस अपने जनीनों को हमारे कोषो के जनीन बंधारण में दाखिल कर देते है । जिससे यह कोष अब वायरस के जनीन कॉड के अनुसार काम करने लगता है । इसी कार्यप्रणाली को ध्यान में रखते हुए  वैज्ञानिकोंने  HIV वायरस के नेनो अणुओं का उपयोग जनीन बंधारण में इच्छित सुधार करने के लिए किया । लेबोरेटरी में संवर्धित निश्चित जनीन बंधारणवाले HIV वायरस हमारे कोषो के जनीन कॉड को काटने (cut) और नये जनीन कॉड को दाखिल करने (paste) का काम करेंगे ।

इस पध्धति से HIV वायरस का उपयोग AIDS रोग की बिमारी के इलाज में इस्तमाल किया जा सकता है । इस प्रकार हमारे जनीनिक बंधारण में सुधार कर AIDS रोग के प्रति रोगप्रतिकार तंत्र मजबूत किया जा सकता है ।

Tuesday, 27 May 2014

Nature Inspires Drones : छोटे 'ड्रोन' रोबोट



Source : Sciencedaily.com

ड्रोन विमान
अमेरिका का ड्रोन विमान अफगानिस्तान में अपने कारनामों के लिए सब जानते है। यह विमान बिना पाइलोट के उडता रहता है । उसका नियंत्रण जमीन पर स्थित एक कक्ष से किया जाता है । इस विमान में HD-कैमेरे लगे होते है । जिससे काफी ऊंचाई से भी साफ तस्वीरें ली जा सकती है ।

लेकिन, शहर के भीड-भाड वाले विस्तार में ड्रोन विमान का संचालन ठीक से नहीं हो पाता था । उसका कद भी बडा होने की वजह से नीची उडान में असफल रहते है ।

अब संशोधकोने कुदरत के छोटे सजीव से प्रेरणा लेते हुए इस समस्या हल ढुढने का प्रयास किया है ।

अलग अलग 14 संशोधक टीमोंने पक्षीओं, चमगादड, तीतली, मधुमख्खी जैसे प्राणी की शरीर रचना का
अध्यन करके छोटे उडनेवालें रोबोट बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया है । यह छोटे रोबोट शहरी भीड-भाड वालें विस्तारों से आराम से गुजर पायेंगे ।


रोबोट का महत्व :
जापान के अणुरिएक्टर के विस्फोट जैसी दुर्घटनाओं के समय यह रोबोट वहां भेजकर स्थिति का ब्योरा लिया जा सकता है । जासूसी के क्षेत्र में यह रोबोट ज्यादा काम में आ सकता है । इन रोबोट का अच्छा उपयोग ‘खोज अभियान’ और ‘बचाव अभियान’ में हो सकते है ।

23 May, 2014 को प्रदर्शित एक रिपोर्ट -Bioinspiration and Biomimetics-के अनुसार संशोधक टीमोंने अपने काम का प्रदर्शन किया। इस प्रकार के रोबोट्स हवा के तेज बहाव में स्थिर रहकर उड नहीं सकते । अभी रोबोटिक्स विज्ञान में काफी सुधार होने है । आशा रखते है की आने वाले सालों में छोटे – छोटे रोबोट्स सामान की डिलीवरी करते हुए हवा में उडते नजर आएगे ।

Monday, 26 May 2014

10 New Species of 2014 (part 2) : 2014 में खोजे गई 10 नई सजीव जाति

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(6) पश्चिमी ओस्ट्रेलिया के बरसाती जंगलो की छिपकली (Saltuarius eximius) - इसकी पूंछ फैली हुई होती है और उसके रंग की वजह से इन छिपकलीयों को आसानी से देखा नहीं जा सकता ।

(7) स्पेन के दक्षिणी समुद्र में पानी के नीचे गुफा में पाया गया एक कोषी जीव (protista) - जो बहुकोषी स्पोंज की नकल जैसा लगता है |


(8) स्पेश क्राफ्ट जहां पे बनते है वहां की फर्श पर पेदा होते हुए बैक्टेरिया की नई जाति (Tersicoccus phoenicis) यह संभव है, यह जाती स्पेश फ्राफ्ट के साथ अंतरिक्ष में भी पहोंच चुकी हो!

(9) कोस्टो रिको के जंगलो से मिली बेहद छोटी मधु मख्खी की जाति (Tinkerbella nana) इस मधुमख्खी की लंबाई 0.00984 ईंच है । यह अपने अंडे दुसरे किटकों के अ‍ॅंडो में छुपा देते है ।

(10) पश्चिमी क्रशिया के ल्युकिना जामा-ट्रोजामा गुफा में 3000 फीट जमीन के नीचे अंधी स्नेल (Zospeum tholossum) की जाती मिली है । जो 0.08 ईंच लंबी है । स्नेल की सामान्य जातियों के मुकाबले यह धीरे चलती है । एक सप्ताह में करीब 1 ईंच से भी कम !

Sunday, 25 May 2014

10 New Species of 2014 (part 1) : 2014 में खोजे गई 10 नई सजीव जाति

(1) इक्वाडोर का 'cute' ओलिंग्योटो
 (Bassaricyon neblina) यह 35 साल में सस्तन समुदाय में खोजी गई पहली नयी जाति है ।

(2) थाइलेन्ड का क्वीसाक ड्रेगन पेड ((Dracaena kaweesakii)) यह पेड 40 फीट ऊँचा है ।

(3) एंटाकर्टिका का एनड्रिल ऐनामोन यह 1 ईंच से छोटा सजीव अपना शरीर बर्फ में दबा के रखता है । आमतौर यह सजीव समुद्र पानी में ही पाए जाते है । एंटाकर्टिका में यह पहली बार पाए गए है ।

(4) सांटा कटलिना की गुफाओ से मिला दिखने में भयानक दिखनेवाला केकडा (Liropus minusculus) का कंकाल, इस जाती की मादा की लंबाई 1 ईंच का 1/10 और नर की लंबाई 1/8 होती है ।
(5) नारंगी पेनिसिलीयम फूग -

⇒⇒Remaining 5 will published soon... keep watching....

Friday, 23 May 2014

'LIVE' Supernova explosion : सुपरनोवा विस्फोट को live देखा गया

source : sciencedaily.com
ब्रह्मांड में 'वुल्फ-रायेट तारा' सबसे महाकाय होता है । हमारे सूर्य से यह तारा 20 गुना ज्यादा भारी होता है  और सूर्य से 5 गुना ज्यादा गर्म होता है ।ब्रह्मांड में ऐसे तारे कम दिखने को मिलते है । जिसके कारण खगोल वैज्ञानिको के पास इनके बारें में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

iPTF प्रणाली :
लेकिन,   intermediate Palomar Transient Factory (iPTF)  की मदद से ब्रह्मांड के किसी भी कोनें में अगर कोई भी घटना होने वाली है तो तुरंत उसका अद्ययन किया जा सकता है ।  यह कम्प्युटर से संचालित प्रणाली पुरे ब्रह्मांड का ब्योरा रखती है । जहां भी कोई अजीब सी घटना होने की संभावना है तो तुरंत पृथ्वी पर स्थित नियंत्रण कक्ष को संकेत भेजती है ।
 
iPTF  प्रणाली की वजह से ही वैज्ञानिको को जानकारी मिली की, 360 लाख प्रकाश वर्ष दूर एक  'वुल्फ-रायेट तारा' प्रचंड सुपरनोवा - llb supernova - बन रहा है । iPTF  प्रणाली का उपयोग करते हुए विझमन इन्स्टियूट (ईजरायल) के वैज्ञानिक ने इस सुपरनोवा -2013cu  को उसके विस्फोट के कुछ घंटो के पहले ही देख लिया। उन्हों ने जमीन से टेलिस्कोप से इस तारें का 5.7 घंटो तक अद्ययन किया । और उसके विस्फोट के पश्चात 15 घंटो तक उसका अद्ययन किया ।

तारें की जन्म कुंडली :
(a) ब्रह्मांड में हाइड्रोजन गेस के बीच गुरुत्वीय आकर्षण होने पर तारा बनने का प्रारंभ हुआ
 (b), (c)  गुरुत्वीय आकर्षण प्रबल होने पर तारें के केन्द्रिय भाग में केन्द्रिय संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया शुरू होती है ।
 (d) गुरुत्वीय आकर्षण और बहारी उर्जा का दबाव संतुलित होने पर तारा चमकता है । हमारा सूर्य इस अवस्था में है ।
(e) गुरुत्वीय आकर्षण चालु रहता है मगर केन्द्रिय भाग में हाइड्रोजन गेस खत्म हो जाने के कारण असंतुलन पेदा होता है ।
(f) अंत हमारे सूर्य से बहोत बडे तारें में सुपरनोवा विस्फोट के साथ उपरी सतह दूर हो जाती है ।

'वुल्फ-रायेट तारा' और सुपरनोवा क्या है ?
सभी तारों में केन्द्रिय संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया से हाइड्रोजन परमाणु का हिलीयम में रूपांतर होता है । तारे में जितना ज्यादा हाइड्रोजन गेस होगा, उतना उसके केन्द्रिय भाग में गुरुत्वीय संकोचन ज्यादा होगा । उतनी केन्द्रिय संलयन प्रक्रिया तेज होगी ।
जब तारे के केंद्र में हाइड्रोजन गेस खत्म हो जाती है तो, कार्बन, ओक्सिजन, नियोन, सोडियम जैसे भारी तत्वो का संलयन शुरू होता है । तारें का केन्द्रिय भाग आर्यन का बन जाए तब तक यह प्रक्रिया चालु रहती है ।

अब भी केन्द्रिय भाग का गुरुत्वीय संकोचन चालु रहता है और अंत में प्रोटोन और इलेक्ट्रोन मिल जाते है । जिसके बाद तारे में विस्फोट हो जाता है । उस समय बहोत सारी ऊर्जा ब्रह्मांड में चारो तरफ बिखरती है । इस विस्फोट को 'सुपरनोवा' कहते है । हमारा सूर्य 100 साल में जितनी ऊर्जा फेंकता है उतनी ऊर्जा सुपरनोवा विस्फोट से प्रति सेकंड मुक्त होती है !! तारा सुपरनोवा के पहले जो अवस्था प्राप्त करता है उसे 'वुल्फ-रायेट तारा' कहते है । जिसमें सुपरनोवा विस्फोट से पहेले एक प्रकार का वायु प्रवाह देखने को मिलता है । जिसमें तारे से द्रव्य बहार बहने लगता है ।


iPTF  प्रणाली की वजह से इस प्रकार सुपरनोवा -2013cu का live अद्ययन हो पाया है । iPTF  प्रणाली की मदद से अब ब्रह्मांड की कई घटनाओं को live देख पायेंगे ।

Wednesday, 21 May 2014

Self Clean Car : एक खुशखबर : 'सुपर आलसी' लोगों के लिए :"अब कार अपने आप ही साफ हो जाएगी।"

left side-सादा रंग;
right side-सुपर हाइड्रोफोबिक रंग
source : cbc.ca
NISSAN कंपनीने अपने एक प्रयोग में एक कार के आधे भाग को सादे रंग (paint) से और बाकी के आधे भाग को 'सुपर हाइड्रोफोबिक' (जलविरागी = जल के प्रति अनाकर्षित होने वाला) रंग से रंग दिया। इस कार को बरसाती ऋतु के माहोल में चलाया गया । तो जैसे हम फोटो में देख रहे है, ठीक वैसे ही जिस भाग पर सुपर हाइड्रोफोबिक रंग लगा है वो भाग साफसुथरा रहा। जबकी, सादे रंग वाला बाकी आधा भाग ज्यादा गंदा हो गया।

वैसे तो, सुपर हाइड्रोफोबिक रंग को 1977 में बनाया गया था । लेकिन उसका व्यापारीक उपयोग नहीं खोजा गया था । करीब एक साल से वैज्ञानिक इस रंग के व्यापारीक उपयोग के बारें प्रयोग कर रहे थे ।

कमल के पत्ते पर पानी के बिन्दु
सुपर हाइड्रोफोबिक 
रंग की सतह पर पानी के बिंदु
सुपर हाइड्रोफोबिक रंग :-
Nanex कंपनी के क्लाटोन बर्ग (Clayton Berg, Belgian-Canadian) ने कमल (Lotus) की पत्तियों का अध्ययन करके 'सुपर हाइड्रोफोबिक रंग' बनाया है । यह रंग को बनाने में नेनोटेक्नोलोजी का उपयोग हुआ है । 
 (b) सतह से सरकता पानी अपने
साथ कचरा भी ले जाता है।

इस रंग के तंतु (fibers) बहोत नजदीक होते है। जिससे पानी-धूल के कण उसके भीतर घूस नहीं पाते । कमल के पत्ते पर जैसे पानी के बिन्दु बन जाते है । वैसे ही इस रंग की सतह पानी के बिन्दु बन जाते है और  तेज हवा से कार की सतह पर सरकते हुए अपने साथ धूल-मिट्टी भी ले जाते है । इस तरह कार अपने आप साफ-self clean-हो जाती है ।

हालांकी, NISSAN कंपनी ने अपनी कोई भी नई कार पर इस रंग को लगाने की बात नहीं की है । फिर भी, अब वो दीन दूर नहीं NISSAN कंपनी अपनी नई कार में ग्राहको को 'सुपर हाइड्रोफोबिक रंग' का विकल्प देगी । इस रंग का उपयोग अन्य चीज-वस्तुओं - कपडें, फर्निचर - में भी किया जा सकता है ।

Tuesday, 20 May 2014

After 80 years "Light turns into Matter" : प्रकाश का पदार्थ में रुपांतर संभव हुआ...80 साल बाद

source : Times of India


जी. ब्रेईट और जॉन ऐ व्हिलर ने प्रकाश का द्रव्य में रूपांतर करने का सिद्धांत 1934 में दिया था।

"प्रकाश के दो कण (फोटोन) को एक दुसरे से टकराया जाए तो उनका इलेक्ट्रोन और पोझिट्रोन में रुपांतर हो जाएगा।"
लेकिन, इसका प्रायोगिक तौर पर कभी पृथक्करण नहीं हो सका। इस प्रयोग को संपन्न करने के शक्तिशाली कण प्रवेगक (पार्टिकल एक्लेरेटर) चाहिए।

2014 में लंडन में स्थित इम्पेरियल कोलेज की 'ब्लेकेट फिजिक्स लेबोरेटरी' में यह प्रयोग किया गया है। इससे जी. ब्रेईट और जॉन ऐ व्हिलर के सिद्धांत को अनुमोदन मिला है।

प्रयोग का महत्व:

इस प्रयोग से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के शुरूआत के 100 सेकन्डस का चित्र स्पष्ट किया जा सकेगा। बिग बेंग के बाद कैसे यह द्रव्य स्वरूप ब्रह्मांड बना ? इस प्रश्न का उत्तर यह प्रयोग दे पायेगा।

प्रयोग कैसे किया गया ?

प्रथम  चरण :
वैज्ञानिको ने  शक्तिशाली लेसर किरणों से इलेक्ट्रोन्स को प्रकाश गति (3× 108 m/s) के जितना प्रवेगित किया । इन इलेक्ट्रोन्स को सोने (Au, Gold) पर फेंका गया । जिससे अति शक्तिशाली फोटोन (हमारे दृश्यप्रकाश से लाखो गुना!!) का बीम मिलता है ।

द्वितीय चरण:
अब सोने (Au, Gold) के प्याले जैसे पात्र में अंदर की ओर -Hohlraum (German शब्द, 'गुहा')- शक्तिशाली लेसर बीम फेंका जाता है। जिससे तारों में बनता है वैसा ही 'उष्मीय क्षेत्र' बनता है। जिसमें से भी फोटोन निकलते है।(जैसे गरम लोहों से लाल प्रकाश निकलता है!!)

पहेले चरण के फोटोन को इन दूसरे चरण के फोटोन की दिशा में भेजा जाता है । दोनों के टकराने  से इलेक्ट्रोन और पोझिट्रोन पेदा होते है।

प्रो. स्टीव रोझ (इम्पेरियल कोलेज, लंडन) ने बताया की- 'इस प्रयोग से 80 साल पहेले के सिद्धांत को प्रायोगिक सहमति मिली है।  और उच्च ऊर्जा वाले भौतिक प्रयोगो के लिए नई दिशा खुल गई है।'

Monday, 19 May 2014

Red spot of JUPITER will disappear: गुरु ग्रह का लाल धब्बा गायब हो रहा है!!?


source : www.cbc.ca
लाल धब्बे वाला (Red spot) ग्रह अगर पूछा जाए तो ज्यादातर लोगो का जबाब होगा "गुरू (Jupiter)"

लेकिन , रिसर्च से पता चला है की गुरू का ये लाल धब्बा धीरे-धीरे सिकुड रहा है।

गुरू ग्रह पृथ्वी से 11.2 गुना बडा है। हमारे सौर मंडल का सबसे बडा ग्रह है। खगोल वैज्ञानिको के लिए गुरू का 'लाल धब्बा (Red spot)' एक पहेली (mysterious puzzle) के समान है। जब वोयेजर-1 यान  गुरू के पास से गुजरा तब इस लाल धब्बे का रहस्य सुलझा।

Voyager -1
Red Gaint spot 
(magnified view)

ये लाल धब्बा (Red spot) एक तूफान है, जो 300 से अधिक साल से गुरू के वातावरण में घूम रहा है। गुरू ग़्रह पर 2% जितनी ही जमीन है । इस कारण इस तूफान का जोर अब तक कम नहीं हुआ है। इस की रफ्तार करीब 200 माईल प्रति घंटा है।

1995,2009,2014 में
हबल टेलिस्कोप से ली गई तस्वीरें
1800 में इस का कद (dimension) 41,000 किमी जितना था । (हमारे पृथ्वी के जितने 2-3 ग्रह इसमे समा सकते है!!!)
लेकिन, 2014 में इसका कद 16,500 किमी का ही रह गया है। इस का मतलब यह लाल धब्बा (Red spot900 किमी प्रति वर्ष की रफ्तार से  घट रहा है।

मिसेल वोंग (Micheal Wong, Scientist, University of California) बताते है की, "सभी खगोल वैज्ञानिकों के लिए लाल धब्बे (Red spot) का सिकुडना एक रहस्यमय घटना है। अगर इस रफ्तार यह घटना चालु रही तो अगले 17 साल में लाल धब्बा (Red spot) पुरी तरह गायब हो जाएगा।"

HAPPY MOTHER'S DAY : मधर डॅ का इतिहास जाने

मधर डॅ का इतिहास :- प्राचीन समय में ग्रीकवासी क्रोनस की पत्नी और समग्र देवताओं की माता "रिहा" (Rhea)‌ को आदर देने के लिए मधर ड...