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मेनोस टेंजरीझ, Georgia Institute of Technology प्रिंटेड वायरलेस चार्जर कोइल दीखा रहे है। |
लेपटोप, मोबाइल फोन, टेबलेट, आईपॉड, गेमिंग डिवाईस आदी उपकरणों के लिए उसकी बेटरी मानो "आत्मा" के समान है। बेटरी को समय पर चार्ज करना यदी भूल गयें तो इन उपकरणों की तत्काल "हंगामी मृत्यु" हो जाती है।
बेटरी चार्ज करते समय भी इन उपकरणों को प्लग से ज्यादा दूर ले जा नहीं सकते । क्योंकी, पावर केबल (cord) की लंबाई सीमित होती है। कई जगह पे चार्जींग प्लेस हमारी पहोंच से दूर हो तो बेटरी चार्जिंग में तकलीफ होती है।अब ये नई टेक्नोलोजी हमें चार्जर, केबल और प्लग से छुटकारा दे सकती है ।
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electric buses that charge their batteries as they drive along their route in Gumi, South Korea. |
इ.सं. 1800 में निकोल टेसला ने "वायरलेस इलेक्ट्रीक सिग्नल" का विचार रखा था। उस समय ज्यादातर इन्डक्शन चार्जर 0.4 ईंच तक ही विद्युत तरंगो को पहुंचा सकते थे। उस समय की टेक्नोलोजी की सिमीतता के कारण "वायरलेस इलेक्ट्रीक सिग्नल" विचार पूरी तरह संभव न हो पाया ।
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वायरलेस चार्जिंग कैस काम करता है ? |
कोरियन इंजीनियर्स ने प्रबल विद्युत सिग्नल्स को 3.3 फूट तक पहुचाने की व्यवस्था की है। इस के कारण कोरीयन बस को चार्ज कर पाना संभव हो पाया है।
फिलहाल, यह टेक्नोलोजी प्रांरभिक दौर में है। Oak Ridge National Laboratory के वैज्ञानिक ऐसे प्रयास कर रहें है जिससे वायरलेस इलेक्ट्रीक सिग्नल ज्यादा शक्तिशाली और दूर तक प्रसार कर पायें । ज्यादा शक्तिशाली इलेक्ट्रीक सिग्नल बेटरी को जल्द रिचार्ज कर सकेंगे।
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