Wednesday, 14 May 2014

IPR,GANDHINAGAR (INDIA) का उर्जा क्षेत्र में वैश्विक और एतिहासिक योगदान

Source : Times Of India
लगता है, ऊर्जा का भविष्य "गुजरात" की कोख में पल रहा है !!

IPR, Gandhinagar
गांधीनगर के नजदिक स्थित IPR (इन्स्टियूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च) के वैज्ञानिको ने विश्व के हृदय समान प्रोजेक्ट, ITER (इन्टरनेशनल थर्मोन्युक्लियर ऐक्सप्रिमेन्ट रिएक्टर, Tokamak Reactor in France) में अपना सहयोग दीया है। ये वैज्ञानिक सहयोग से बनाने वाला विश्व का सबसे बडा रिएक्टर है। इस प्रोजेक्टकी मदद से भविष्य में थर्मोन्युक्लियर फ्युजन प्रकिया (परमाणुकेन्द्र संलयन, सूर्य और तारों में होनेवाली प्रक्रिया)से सस्ती, प्रदुषणमुक्त और सलामत उर्जा पेदा हो सकेगी।
भारत,  ITER में क्रायोस्टेट के 45 घटक और वेक्युम पात्र बनाकर पहुंचाने वाला है। जो इस प्रोजेक्ट के सबसे महत्वपूर्ण और बडे घटक (components) है। ये यंत्र सामग्री 2015 तक ITER, फ्रांस में पहुँच जायेगी। 2022-25 तक इस प्लांट में प्लाज्मा बन जाएगा और इसके बाद के समय में इस रिएक्टर (भठ्ठी) में हमारे सूर्य से 10 गुना ज्यादा तापमान पेदा हो जाएगा ।
Tokamak fusion reactor
Cadarache,France.

Diagram
Tokamak fusion reactor



भारत की महत्वपूर्ण उपल्ब्धि:-

अब भारत क्रायोजेनिक रिएक्टर के निर्माण करने वालें देशों में सामिल हो गया है। इस प्रोजेक्ट में सामिल Made in India रिएक्टर का वजन 23000 टन ( 3 एफिल टावर 
जितना !!!) है और इस में 840 क्युबिक मिटर  प्लाज्मा समा सकता है। डॉ. होमी भाभा, डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. अब्दुल कलाम का सपना अब साकार बनता नजर आ रहा है।



IPR का SST-1 काम कैसे करता है ?


इस रिएक्टर में चुंबकीय और विद्युतीय क्षेत्र की मदद से हाइड्रोजन प्लाज्मा को गरम किया जाता है। फिर अतिवाहक चुंंबक (super conducting magnet) से दबा कर हाइड्रोजन
प्लाज्मा में थर्मोन्युक्लियर फ्युजन प्रकिया (परमाणुकेन्द्र संलयन) शुरु की जाती है।

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