source : sciencedaily.com
ब्रह्मांड
में 'वुल्फ-रायेट तारा' सबसे महाकाय होता है । हमारे सूर्य से यह तारा 20 गुना ज्यादा भारी होता है और सूर्य से 5 गुना ज्यादा गर्म होता है ।ब्रह्मांड में ऐसे तारे कम दिखने को मिलते
है । जिसके कारण खगोल वैज्ञानिको के पास इनके बारें में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
iPTF प्रणाली :
लेकिन,
intermediate Palomar Transient Factory (iPTF) की मदद से ब्रह्मांड के किसी भी कोनें में अगर कोई भी घटना होने वाली है तो तुरंत उसका अद्ययन किया जा सकता है । यह कम्प्युटर से संचालित प्रणाली पुरे ब्रह्मांड का ब्योरा रखती है
। जहां भी कोई अजीब सी घटना होने की संभावना है तो तुरंत पृथ्वी पर स्थित नियंत्रण कक्ष को संकेत भेजती है ।
iPTF प्रणाली की वजह से ही वैज्ञानिको को जानकारी मिली की, 360 लाख प्रकाश वर्ष दूर एक 'वुल्फ-रायेट तारा' प्रचंड सुपरनोवा - llb supernova
- बन रहा है । iPTF प्रणाली का उपयोग करते हुए विझमन इन्स्टियूट (ईजरायल) के वैज्ञानिक ने इस सुपरनोवा -2013cu को उसके विस्फोट के कुछ घंटो के पहले ही देख लिया। उन्हों ने जमीन से टेलिस्कोप से इस तारें का 5.7 घंटो तक अद्ययन किया
। और उसके विस्फोट के पश्चात 15 घंटो तक उसका अद्ययन किया ।
तारें की जन्म कुंडली :
(a)
ब्रह्मांड में हाइड्रोजन गेस के बीच गुरुत्वीय आकर्षण होने पर तारा बनने का प्रारंभ
हुआ
(b), (c)
गुरुत्वीय आकर्षण प्रबल
होने पर तारें के केन्द्रिय भाग में केन्द्रिय संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया शुरू होती है ।
(d) गुरुत्वीय
आकर्षण और बहारी उर्जा का दबाव संतुलित होने पर
तारा चमकता है । हमारा सूर्य इस अवस्था में है ।
(e) गुरुत्वीय आकर्षण चालु रहता है मगर केन्द्रिय भाग में हाइड्रोजन गेस
खत्म हो जाने के कारण असंतुलन पेदा होता है ।
(f) अंत हमारे सूर्य से बहोत बडे तारें में सुपरनोवा विस्फोट के साथ उपरी
सतह दूर हो जाती है ।
'वुल्फ-रायेट तारा' और सुपरनोवा क्या है ?
सभी तारों में केन्द्रिय संलयन (nuclear fusion) प्रक्रिया से हाइड्रोजन परमाणु का हिलीयम में रूपांतर होता है ।
तारे में जितना ज्यादा हाइड्रोजन गेस होगा,
उतना उसके केन्द्रिय भाग में गुरुत्वीय संकोचन ज्यादा होगा । उतनी केन्द्रिय संलयन प्रक्रिया तेज होगी ।
जब तारे के केंद्र में हाइड्रोजन गेस
खत्म हो जाती है तो, कार्बन, ओक्सिजन, नियोन, सोडियम जैसे
भारी तत्वो का संलयन शुरू होता है । तारें का केन्द्रिय भाग आर्यन का बन जाए तब तक यह
प्रक्रिया चालु रहती है ।
अब भी केन्द्रिय भाग का गुरुत्वीय संकोचन चालु रहता है और अंत में प्रोटोन और इलेक्ट्रोन मिल
जाते है । जिसके बाद तारे में विस्फोट हो जाता है । उस समय बहोत सारी ऊर्जा
ब्रह्मांड में चारो तरफ बिखरती है । इस विस्फोट को 'सुपरनोवा' कहते है । हमारा सूर्य 100 साल में जितनी
ऊर्जा फेंकता है उतनी ऊर्जा सुपरनोवा विस्फोट से प्रति सेकंड मुक्त होती है !!
तारा सुपरनोवा के पहले जो अवस्था प्राप्त करता है उसे 'वुल्फ-रायेट तारा' कहते है । जिसमें सुपरनोवा विस्फोट से पहेले एक प्रकार का वायु
प्रवाह देखने को मिलता है । जिसमें तारे से द्रव्य बहार बहने लगता है ।
iPTF प्रणाली की वजह से इस प्रकार सुपरनोवा -2013cu का live अद्ययन हो पाया है । iPTF प्रणाली
की मदद से अब ब्रह्मांड की कई घटनाओं को live देख पायेंगे ।
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