Thursday, 25 May 2017

Self Cleaning Clothes…'स्वयं साफ होनेवाले कपडें...

Self Cleaning Clothes…'स्वयं साफ होनेवाले कपडें...


एक नूर आदमी... हजार नूर कपडे...

कपडे हर एक के व्यक्ति के स्वभाव का आइना है । हम नए कपडे पहन के अपने आप को उर्जावान और आकर्षक समझते है । लेकिन ये कपडे हर दो-चार दिन में मैले हो जाते है । उन्हें धोना पडता । लेकिन, जल्द ही हमें ये झंझट से मुक्ति मिल जाएगी । क्योंकी..... वैज्ञानिकोंने ऐसे कपडे ढूंढ निकाले है । जो अपने आप ही साफ़ हो जाएगें । भारत के ARCI(International Advanced Research Centre for Powder Metallurgy, Hydrabad) के वैज्ञानिकोने इस पर शोध करते हुए ऐसे कपडे बनाए है जो सूर्य प्रकाश में अपने आप साफ हो जाएगें । ये संभव हुआ है नेनो टेक्नोलोजी के कारण !

स्वयं साफ होनेवाले कपडों के रेशों पर TiO2 या ZnO के नेनो कणों का पड चढाया जाता है। TiO2 (टिटेनियम ऑक्साइड) एक शक्तिशाली प्रकाश क्रियाशिल उत्प्रेरक/photocatalyst है | जब कपडें को सूर्य प्रकाश में रखते है तब TiO2 के साथ प्रकाश रासायणिक क्रिया होने से हाइड्रोक्सील मुक्तमुलक/OH· और ऑक्सिजन/O2· मुक्तमुलक बनता है । कपडें पर जमा हुआ मैल, पसीना, धूल-मिट्टी, बैक्टेरिया आदि (कार्बनिक पदार्थ) इनके साथ मिलकर कार्बन डायोक्साइड/CO2 और पानी/H2O के स्वरुप में सतह से दूर हो जाते है । इस प्रकार कपडें की सतह से अपने आप दाग‌-धब्बें दूर हो जाएगें।
'स्वयं साफ होने वाले कपडों' के रेशों पर TiO2 या ZnO के नेनो कणों का पड होने के कारण ये कपडें पानी प्रतिरोधी/water resistant होते है ।  इन कपडों में नेनो सिल्वर के उपयोग से ये कपडे एन्टिबैक्टेरियल हो जाते है ।

रासायणिक प्रक्रिया :

जब सूर्यप्रकाश TiO2 पर पडता है तब इलेक्ट्रोन्स उसके संयोजकता पट/valance band से कूदके वाहकता पट/conduction band में आ जाते है । TiO2  की सतह पर एसे कई इलेक्ट्रोन्स और उसके छिद्र बन जाते है । O–2 और इलेक्ट्रोन्स से जुडकर ऑक्सिजन वायु/O2· मुक्तमुलक बनाते है । इलेक्ट्रोन्स के छिद्र, पानी/H2O के साथ मिलकर हाइड्रोक्सील मुक्तमुलक/OH· बनाते है । ये दोनों मुक्तमुलक अतिक्रियाशिल होने के कारण तुरंत मैल, पसीना, धूल-मिट्टी, बैक्टेरिया आदि (कार्बनिक पदार्थ) साथ मिलकर कार्बन डायोक्साइड/CO2 और पानी/H2O  बना देते है ।
स्वयं साफ होने वाले कपडों के फायदे :

Self Cleaning Sport Wear
❉धूप में खडे रहने से ये कपडें साफ हो जाते है, इसलिए कपडों की धुलाई का खर्चा कम हो जाएगा।


❉हवाई जहाज, स्पेश क्राफट में बैठे लोग बिना कपडें बदले लंबे समय तक अपना काम कर सकते है ।

❉जिन लोगों के पसीने के कारण कपडों-मोझों में से बदबू आती है, उनके लिए ये कपडें ज्यादा फायदेमंद है ।

❉डोक्टरो को आपने मास्क को बारबार साफ करने से मुक्ति मिल जाएगी ।

❉बार बार कपडे धोने से उसकी चमक कम हो जाती है, लेकिन स्वयं साफ होने वाले कपडों को बार धोना नहीं पडेगा इसके कारण ये कपडे लंबे समय तक नए जैसे बने रहेंगे ।

❉ये कपडे पानी प्रतिरोधी/water resistant होने के कारण ये पानी से जल्दी भीगते नहीं है । कॉफी, चाय, खाने के 
तेल या कीसी रंग का धब्बा इन पर नहीं पडता है ।
Self Cleaning Denim
Boundry :

छोटी चींकी ने ये पढके कहा,  "चलो अच्छा है... मम्मी बाहर धुप में खेलने में मना नहीं करेगी ।"

Tuesday, 16 May 2017

What is your favorite number ? Is it "7"!!! ?.... सब का चहिता "7"

What is your favorite number ? Is it "7"!!! ?....
source : wikipedia


Alex Bellos ने अपने पुस्तक-How Life Reflects Numbers And Numbers Reflect Life" में "अंक और लोगो की भावनाओं के बीच रिश्ता" तय करने के लिए April, 2014 में एक सर्वे किया । इस सर्वे में करीब 30,000 लोगो ने हिस्सा लिया । जिसका नतीजा नीचे दिए गए टेबल में नजर आ रहा है । इस के मुताबिक ज्यादातर लोगोंं का पसंदीदा अंक "7" है ।







इस सर्वे की कुछ झलक देखिए ।

सर्वे के अनुसार "favorite number" का क्रम
❊1,123 व्यक्तिओं ने एक अंक (1 to 9) के नंबर पसंद किए ।

❊कुल डेटा के आधे डेटा में 1 से 10 नंबर को पसंद किया गया है ।

❊1 से 100 बीच के सभी नंबर किसी ना किसी ने पसंद किए है ।

❊1 से 1000 के बीच कुल मिला के 472 अंको को लोगो ने पसंद किया है ।

❊एक 110 नंबर है, जिसको किसीने पसंद नहीं किया !!!

इस सर्वे के मुताबिक विश्व में "7" अंक लोगो का ज्यादा पसंदीदा नंबर है । दूसरे नंबर पर अंक 3 लोगो का पसंदीदा है ।

अगर 1 से 50 के बीच कोई अयुग्म/odd नंबर पसंद करने को कहा जाए तो, ज्यादातर लोग 37 अंक पसंद करते पाए गए है । ये भी 3 और 7 का बना अंक है ।

7 अंक सब का पसंदीदा क्यों है ?

अंक "7" सब का चहिता होना का रहस्य हमारे दिमाग short-term memory में छिपा है । इस बात को समझाते हुए मनोवैज्ञानिक ज्योर्ज मिलर ने 1956 में एक लेख लिखा था । जिसको "मिलर का सिद्धांत 7 ± 2" के नाम से जाना जाता है । ये लेख ज्ञानात्मक प्रकिया/Cognitive Theory को समझने के लिए काफी पसंद किया गया है ।

"मिलर का सिद्धांत 7 ± 2"


इस सिद्धांत के मुताबिक, हम जो भी माहिती याद करते है उस को छोटे छोटे टुकडों में हमारे दिमाग में संचित करते है । जिसको chunk/चंक कहते है । (कम्प्युटर में जैसे Bit होता है..) ये चंक हमारी short-term meory में मदद करते है । जिस से किसी व्यक्ति को सीखने में मदद मिलती है । हमारे दिमाग में एक बार में chunks ( ± 2) वाले डेटा संग्रह होते है । chunks से ज्यादा chunk वाली किसी भी माहिती के प्रति हमारे दिमाग की प्रतिक्रिया/response कम हो जाती है । 

शायद इसी वजह से हम ज्यादातर अंक 7 या 3 अंक को पसंद करते है ।

अलग अलग प्रयोगो में इस बात का समर्थन मिला है की, जैसे की "10 अंको के किसी भी फोन नंबर के करीब पहले 7 अंक( ± 2)  ज्यादातर लोग सही याद कर पाते है । किसी भी वाक्य में जितने शब्द ज्यादा होते है उतना उसके प्रति सामने बैठे व्यक्ति के दिमाग का रिस्पोन्स कम होता जाता है ।


"मिलर के सिद्धांत 7 ± 2" को सेल्स मेन, नेता, शिक्षक या कोई भी अपने वकतव्य को असरदार बनाने के लिए कर सकता है । छोटे वाक्य या डेटा अपने प्रेक्षको को ज्यादा समझ में आऐंगे ।

जीवन के साथ अंक 7 का संबंध :

सात समुद्र
पेसेफिक, आर्क्टिक, एट्लान्टिक, इन्डियन, मेडिटेरियन, केरेबियन, गल्फ ऑफ मेक्सिको
सात खंड
आफ्रिका, ऐशिया, युरोप, नोर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, एंटाकर्टिका, औस्ट्रेलिया
सात वार /Weekdays
सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार (गुरुवार) , शुक्रवार, शनिवार, रविवार
7 Wonders of Ancient World
Great Pyramid of Giza, Tample of Artemis, Hanging Garden of Babylon, Lighthouse of Alexandria, Statue of Zesus, Mausoleum at Halicarnassus, Colossus of Rhodes, Stonehenge of England
7 Wonders of Morden World
Great Wall of China,Petra (Jorden), The Colossem (Rome), Chichen Itza (Mexico), Machu Picchu (Peru), Taj Mahal (India), Christ the Reddeemer (Brazil)
सात सूर
संगीत के सात सूर - सा रे गा म प ध नी सां

धर्म में अंक 7 का संबंध :


सात पाप घमंड, लालच, हवस, इर्षा, लोलुपता, क्रोध, आलस
सात स्वर्ग हिन्दु पुराण में 14 स्वर्ग (7 स्वर्ग आकाश में, 7 स्वर्ग जमीन के नीचे), कुरान में सात स्वर्ग का उल्लेख है ।
सात फेरे लग्न में पवित्र विधि
सात नाडीचक्र योग-प्राणायाम में ये माना गया है की हमारे शरीर में सात चक्र है जो तमाम गतिविधीयां तय करते है ।
सात जन्म साथ है लग्न हिन्दु परंपरा में पति-पत्नी का साथ सात जन्मों का माना जाता है ।

Chemistry में अंक 7 का संबंध :

pH =7 तटस्थ जलीय प्रवाही (i.e. पानी) के लिए
7 आर्वत आधुनिक आर्वत कोष्टक में सात पंक्तियां  

Physics में अंक 7 का संबंध :


सात मूलभूत भौतिक राशि लंबाई, द्रव्य, तापमान, ज्योतितिव्रता, विधुतप्रवाह, समय, वजन (भार)
सात इन्द्र धनुष्य के रंग जामूनी, निला, भूरा, हरा, पीला, नारंगी, लाल

और कई जगहों पर अंक 7 दिखाई देगा । जरा गौर कीजीएगा । ....

Saturday, 13 May 2017

Plastic Eating Worm Discovered || प्लास्टिक खाउ कीडे खोजे गए...

वैज्ञानिको ने प्लास्टिक खाने वाले एक कीडे /worm की खोज की है ।


QUARTZ 24 APRIL, 2017

ज्यादातर ये कीडा मछ्ली पकडने के चारे की तौर पर उपयोग होता है । ये कीडा मधुमख्खी के छ्त्ते का मॉम खाते है ।⅄

स्पेन के वैज्ञानिक फेडेरिक बेर्टोसीनी (Institute of Biomedicine and Biotechnology of Cantabria, Spain)ने सब से पहले इन कीडो की प्लास्टिक खाने की आदत को खोज था ।


ज्यादातर होतो है वैसे ही ये खोज एक अकस्मात का कारण हुइ । फेडरिक अपने घर पे रखे मधुमख्खी के छत्ते में से ये कीडे साफ कर रहे थे । उन्हों ने इन कीडों को एक प्लास्टिक बेग में भर दिया । लेकिन ये कीडे उस बेग में से छेद करके निकल गए ।

इस घटना पर खोज करते हुए 24 April, 2017 को उन्हों ने एक खोज पत्र "Current Biology" में प्रदर्शित किया है । इनके मुताबिक, 100 कीडे /wax worms एक पोलिथिन शोपिंग बेग को 40 मिनीट में खा सकते है । ज्यादातर खुले वातावरण में ये प्लास्टिक बेग को पूर्ण विघटित होने में 100 से 400 साल लगते है । जब की ये कीडे महज 40 मिनीट में उसे विघटित कर देते है ।


2011 में एक फूग/fungi की प्रजाति खोजी गई है, 2014 एक बैक्टेरिया की प्रजाति खोजी गई है । जो प्लास्टिक को विघटित कर सकती है । लेकिन ये कीडे इन सब से जल्दी प्लास्टिक को पचा सकते है । समस्या ये है की, ये कीडे जमीन मे अंदर फसे प्लास्टिक को खा नहीं सकते । जमीने के नीचे ऑक्सिजन स्तर कम है ।

लेकिन वैज्ञानिको ने इस का हल निकाल दिया है । ये कीडा जिस उत्सेचक /enzyme की मदद से प्लास्टिक को पचाता है, वैज्ञानिक उस उत्सेचक को लेबोरेटरी में बनाने की कोशिश करेंगे ।

कुछ सालों पहले, भारत में सुप्रिम कोर्ट ने कहा था, "हम प्लास्टिक टाईम बोम्ब पर बैठे है ।" 

एक सर्वे के मुताबिक, भारत में  60 बडे शहरों में हर रोज 15,000 टन प्लास्टिक का कूडा पैदा होता है । इस में ज्यादातर प्लास्टिक का पुन:उपयोग या रिसायक्लींग नहिं होता है । या तो ये जमीन में पडा रहता है या पानी के स्तोत्रो को प्रदुषित करता है ।

अब ये स्पेनीश वैज्ञानिक की खोज शायद प्लास्टिक प्रदूषण में मुक्ति दिला सकें । 

Friday, 12 May 2017

Climate Change || विशाल हिमशिला/Ice berge ऐन्टार्क्टिक से अलग हो जाएगी !!! समुद्र जलस्तर बढने का खतरा !!

Climate Change || विशाल हिमशिला/Ice berge ऐन्टार्क्टिक से अलग हो जाएगी !!! समुद्र जलस्तर बढने का खतरा !!

MIRROR 23 FEB, 2017
ऐन्टार्क्टिक  से लार्सन सी/ Larsen C नाम की एक विशाल हिमशिला करीबन अलग होने आई है । इस से पहेले के वर्षो मे हिमशाला तूट कर अलग होने की 10 घटनाए हो चूकि है । लेकिन इस बार की हिमशिला बहुत बडी है ।

प्रो. Adrian Luckman (Swansea University, Leader of Midas project) कहा, "पिछ्ले कुछ महिने से ये दरार स्थिर थी । लेकिन, डिसम्बर, 2016 के बाद ये दरार जल्दी से बढना शुरु हुई है । अब हिमशिला का 20 किमी जितना ही हिस्सा ऐन्टार्किटक से जुडा है ।"


ABS News ने हिमशिला के तूटने के लिए आबोहवा परिवर्तन को जिम्मेदार बताया है । वैज्ञानिके ने चिंता जताते हुए बताया है की, " इतनी बडी हिमशिला के तूटकर समुद्र में चले जाने से एन्टार्क्टिक के ग्लेशियर के पिगलने का दर बढ जाएगा । पृथ्वी का तापमान बढने से हिमशिलाएं पिगलेगी। जिससे समुद्रो का जलस्तर बढेगा ।"

See the video :

Wednesday, 10 May 2017

22 साल बाद जगत के सामने आया "बुरान"

22 साल बाद जगत के सामने आया "बुरान"

BUSINESS  INSIDER (INDIA) 16 JUN, 2015

1974 में रशिया (तब सोवियत युनियन/USSR के नाम से पहचाना जाता था ।) ने बुरान प्रोग्राम/BURAN के तहत अपना स्पेश शटल प्रोग्राम शुरू किया था । तब अमेरिका और सोवियत रशिया के बीच शीत युध्ध/cold war चल रहा था । दोनो देश एक दुसरे को परास्त करने के लिए सामरिक/strategic चाल चल रहें थे । बुरान प्रोजेक्ट इसी का एक हिस्सा था । 

सोवियत रशिया अमेरिका से पहले अपना महिला अवकाशयात्री स्पेश में भेजना चाहता था । इसी लिए बुरान प्रोजेक्ट के तहत स्पेश शटल प्रोग्राम शुरु किया था । 

Svetlana Yegenyevna Savitskaya 
स्पेश वॉक करने वाली पहली महिला
लेकीन, सोवियत रशिया ने अपना ये लक्ष्य बुरान प्रोजेक्ट के पहले लोन्च से चार पहले 1984 में पुरा कर लिया था । Svetlana Yegenyevna Savitskaya स्पेश वॉक करने वाली पहली महिला बनी ।


बुरान प्रोजेक्ट के तहत पहला और आखरी !! स्पेश शटल उड्ड्यन 1988 में हुआ था । सोवियत युनियन के पतन के बाद 1993 इस प्रोजेक्ट को छोड दिया गया । पहली उडान भरने वाला स्पेश शटल हैंगर के एक भाग गिरने से 2002 में तूट गया । 

वास्तव में ऐसा माना जाता है की, इस स्पेश शटल की डिझाइन सोवियत सिक्रेट पोलिसने NASA से चोरी की थी। इस प्रोजेक्ट में सोवियत युनियन ने 10 अबज से ज्यादा की पूंजी लगाई थी ।





हाल ही फोटोग्राफ़र  Ralph Mirebs ने इस स्पेश शटल के फोटोग्राफ अपने ब्लोग पर जगत के सामने रखे ।



(1) ये बुरान का हैंगर/Baikonur Cosmodrome
(2) दोनो स्पेश शटल इस फोटो में दिख रहे है ।
(3) तूटा हुआ स्पेश शटल
(4) स्पेश शटल के अंदर का नजारा जो बिलकुल NASA के स्पेश शटल जैसा है ।


Tuesday, 9 May 2017

आखिर नासाने अपना सुपर बलून अवकाश में भेजा...

आखिर नासाने अपना सुपर बलून अवकाश में भेजा...
RUTURE,26 APR,2017

ये बलून अवकाश गंगा में से पृथ्वी पर आते कोस्मिक कणो को खोज पाने के लिए खास डिझाईन किया गया है।


उडान के लिए तैयार विशाल बलून @ Wanaka Airport 25 April, 2017


एक फूटबोल मेदान के कद का सुपर बलून न्युजिलेंड से NASA  ने 26 अपैल, 2017 को अवकाशमें पहोंचाया है । ये बलून बाह्य अवकाश में 2-3 दफा घूमकर डेटा इकठ्ठे करेगा ।

इस प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए Angela Olinto(University of Chicago professor ने कहा, "ये बलून अवकाश गंगा में से पृथ्वी पर आते कोस्मिक कणो ने के खोज पाने के लिए खास डिझाईन किया गया है। कोस्मिक किरणों का उदभव आज भी एक रहस्य बना हुआ है । ये कोस्मिक कण आकाशगंगा में से आते है या कोई ब्लेक होल इन्हे छोड रहा है ? या पल्सार या और कुछ है ?"

न्युझिलेन्ड नासा के 2015 और 2016 ऐसे बलून प्रोग्राम में NASA का भागीदार रहा है ।


कोस्मिक कणो के अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई का योगदान महत्वपूर्ण है ।

HAPPY MOTHER'S DAY : मधर डॅ का इतिहास जाने

मधर डॅ का इतिहास :- प्राचीन समय में ग्रीकवासी क्रोनस की पत्नी और समग्र देवताओं की माता "रिहा" (Rhea)‌ को आदर देने के लिए मधर ड...